आय है ये सावन तो
ये है मन भावन तो
दो दिलों की डोरी देखो कैसे जुड़ने लगी
कल्पना के पंख लिए
वंदना के शंख लिए
मन की मयूरी देखो कैसे उड़ने लगी
मन की नाव डोल गई
हौले से ये बोल गई
गोरी चोरी चोरी देखो प्रेम करने लगी
मुख पे ये लाली देखो
लाल चुन्नी वाली देखो
लाल लाल फूलो की भी लाली हरने लगी
सपनो में झूल गई
अपनों को भूल गई
मन की तरंगे अटखेली करने लगी
स्वयं से बात करे,
आँखों में ये रात करे
सखियाँ तो रोग ऐसा देख डरने लगी
बंद पलकों में वही
खुली पकले तो वही
अधखुली पलकें सारा भेद कहने लगी
संबोधन का बोध नहीं
कोई अवरोध नहीं
मन की डगर देखो कैसे चलने लगी
सपर्पण की आशा लिए
प्रेम वाली भाषा लिए
गोरी की तपस्या छंदों में ढलने लगी !!
ये है मन भावन तो
दो दिलों की डोरी देखो कैसे जुड़ने लगी
कल्पना के पंख लिए
वंदना के शंख लिए
मन की मयूरी देखो कैसे उड़ने लगी
मन की नाव डोल गई
हौले से ये बोल गई
गोरी चोरी चोरी देखो प्रेम करने लगी
मुख पे ये लाली देखो
लाल चुन्नी वाली देखो
लाल लाल फूलो की भी लाली हरने लगी
सपनो में झूल गई
अपनों को भूल गई
मन की तरंगे अटखेली करने लगी
स्वयं से बात करे,
आँखों में ये रात करे
सखियाँ तो रोग ऐसा देख डरने लगी
बंद पलकों में वही
खुली पकले तो वही
अधखुली पलकें सारा भेद कहने लगी
संबोधन का बोध नहीं
कोई अवरोध नहीं
मन की डगर देखो कैसे चलने लगी
सपर्पण की आशा लिए
प्रेम वाली भाषा लिए
गोरी की तपस्या छंदों में ढलने लगी !!